
Aurangzeb Cruelty against Hindus: औरंगजेब ने अपने शासनकाल के दौरान हिन्दू राजाओं के साथ सामरिक जरूरतों के तहत संधियां कीं और उन्हें मुगल दरबार में स्थान दिया, परंतु सामान्य हिन्दुओं के प्रति उसकी नीति में किसी प्रकार की उदारता नहीं थी। उसके शासन में हिन्दुओं के प्रति घृणा की सीमाएं पार हो गईं। यह सच्चाई है कि औरंगजेब को हिन्दुओं के प्रति उदार बताने के प्रयास ऐतिहासिक तथ्यों से मेल नहीं खाते। अकबर ने जजिया कर को समाप्त करके धार्मिक सहिष्णुता का संदेश दिया, जबकि औरंगजेब ने इसे पूरी सख्ती से लागू किया, जिसका वास्तविक उद्देश्य हिन्दुओं को अपमानित और प्रताड़ित करना था।
जजिया कर का सबसे बुरा प्रभाव कमजोर वर्ग के हिन्दुओं पर पड़ा। कई लोगों ने कर चुकता करने में विफलता के चलते इस्लाम स्वीकार कर लिया, ताकि अपमान से बच सकें। इसके अतिरिक्त, उसके शासनकाल में मंदिरों का ध्वंस और देव प्रतिमाओं का अनादर भी व्यापक स्तर पर हुआ। औरंगजेब ने मुगल साम्राज्य के विस्तार के लिए कठोर नीतियों का पालन किया और लगभग पचास वर्षों तक सख्ती से शासन किया, जिसके कारण उसने क्रूरता की नई मिसालें स्थापित कीं।
हालांकि, उसकी ये नीतियां अंततः मुगल साम्राज्य के पतन का कारण बन गईं। तीन सौ से अधिक साल बाद भी, औरंगजेब फिल्म, किताबों, सेमिनारों और बयानों में चर्चा और विवाद का केंद्र बना हुआ है। अपनी विरासत की लड़ाई में, औरंगजेब ने अपने भाई दारा के खिलाफ इस्लाम का सहारा लिया, जो एक अनोखा अवसर था जब उसने धर्म को युद्ध का हथियार बनाया।
इस संघर्ष में मुगल दरबार दो खेमों में बंट गया; दारा की विद्वता और उदार छवि के कारण उसे हिन्दू राजाओं का समर्थन मिला। इसके विपरीत, औरंगजेब ने दारा के मुस्लिम समर्थकों को अपने पक्ष में लाने के लिए उसे एक विधर्मी के रूप में प्रचारित किया और स्वयं को शरियत का रक्षक बताया। इस रणनीति में वह सफल रहा और उसने दारा तथा अपने एक अन्य भाई मुराद का निर्दयीता से अंत किया।
इसके अलावा, उसकी क्रूरता से उसके पिता शाहजहां भी प्रभावित हुए और अंततः उसकी कैद में उनकी मृत्यु हुई। औरंगजेब की इन गतिविधियों से उलेमा भी नाराज हुए, और केवल हिंदुस्तान में ही नहीं, बल्कि मक्का से भी उस पर लानतें भेजी गईं। यह स्थिति दर्शाती है कि कैसे औरंगजेब की नीति और कार्यक्षमता ने न केवल हिन्दुओं के प्रति घृणा बढ़ाई बल्कि अंततः उसके शासन को भी कमजोर किया।
मक्का के शरीफ़ ने अपने पिता के साथ बुरे व्यवहार के कारण कई सालों तक उसके भेजे हुए तोहफ़े ठुकराए। सफ़वी बादशाह शाह सुलेमान ने एक खत में बताया कि उसने गलती से अपना उपनाम आलमगीर रखा है। औरंगजेब ने अपने पूर्वजों से एक विशाल साम्राज्य पाकर भी उनकी शासन प्रणाली को पसंद नहीं किया। उसके पूर्वज भारत में जीत के बाद यहां की संस्कृति में घुल-मिल गए थे और उन्होंने हिंदू आबादी के साथ तालमेल व उदारता से शासन करने पर ध्यान दिया। लेकिन औरंगजेब का उद्देश्य इसे इस्लामी शासन में बदलना था, जिसके लिए उसने हर संभव बल प्रयोग किया।
इस्लाम को बनाया राजधर्म
औरंगजेब ने इस्लाम को राजधर्म बताया, जबकि अकबर ने इसे छोड़ दिया था। उसने इस्लामी कानूनों को अपने शासन की नींव बनाया। उसका लक्ष्य भारत को दार-उल-हर्व (काफिरों का देश) से दार-उल-इस्लाम में बदलना था, और इसके लिए उसने गैर-मुस्लिमों को अधिकारों से वंचित किया और उन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ डाला। मुस्लिम धर्म प्रचारकों को राज्य का संरक्षण दिया और हिंदुओं के मंदिरों को तोड़कर उन्हें इस्लाम स्वीकार करने का दबाव डाला।
हिंदुओं पर जजिया कर थोपा
औरंगजेब ने हिंदुओं पर जजिया कर लगाया, जिसे अकबर ने खत्म कर दिया था। 1679 में उसने दोबारा इसे लागू किया, जिसके खिलाफ दिल्ली में लोग सड़कों पर उतर आए। यहां तक कि उसके बेटे अकबर ने इसे हटाने की मांग की, लेकिन औरंगजेब ने विरोध को भीषणता से दबा दिया। उसके आदेशों से यह पता चलता है कि जजिया उनके लिए कितना महत्वपूर्ण था, जिससे वह गैर-मुसलमानों पर भेदभाव करता था।
जजिया चुकाने के लिए नंगे पैर पेश होने की शर्त
जजिया कर चुकाने के लिए हिंदुओं को नंगे पैर आना पड़ता था। तीन श्रेणियों में बांटकर कर लिया जाता था, जिनमें संपत्ति के अनुसार भेदभाव किया जाता था। जदुनाथ सरकार के अनुसार, हिंदुओं को अन्य करों के साथ जजिया भी दोगुने की दर से चुकाना पड़ता था। इस कर का भुगतान करने वालों को अपमान का भी सामना करना पड़ता था, जिससे कई कमजोर वर्ग के हिंदू इस्लाम को अपनाने के लिए मजबूर हुए।
हिन्दुओं से और कर वसूलने और कमजोर करने के तरीके खोजे
औरंगजेब ने हिंदुओं पर और भी कर थोपने के लिए नए तरीके खोजे। उसने प्रयाग में गंगा स्नान के लिए यात्री कर लगाया और मुस्लिम व्यापारियों के लिए चुंगी खत्म कर दी, जबकि हिंदू व्यापारियों पर इसे लागू रखा। 1671 में आदेश दिया गया कि केवल मुस्लिमों को लगान वसूली में रखा जाए। हिंदू कर्मचारियों को निकालने का हुक्म दिया गया, और इस्लाम कुबूल करना कानूनगो बनने के लिए अनिवार्य कर दिया गया।
औरंगजेब ने हिंदू त्योहारों पर भी पाबंदियां लगाईं। 1665 में उसने दीपावली पर दिए जलाने पर रोक लगाई और होली पर भी रोक लगाई। राजपूतों के अलावा अन्य हिंदुओं को हाथी, घोड़े और पालकी की सवारी करने की भी अनुमति नहीं दी गई। हिंदू पाठशालाओं को बंद किया गया और कोई हिंदू गवर्नर नहीं बनाया गया।
हिंदू त्योहारों पर भी पाबंदी
इस्लाम कुबूल करने के लिए औरंगजेब ने बलात धर्म परिवर्तन और प्रलोभन दोनों का सहारा लिया। जो लोग इस्लाम कुबूल करते थे,
उन्हें सम्मान दिया जाता था और नौकरी में तरजीह दी जाती थी। वहीं, जिनसे बलात धर्म परिवर्तन करवाया जाता था, उन्हें उनके प्राणों का भी डर होता था। इतिहासकार बताते हैं कि औरंगजेब की धर्मांधता ने उसकी अनेक अच्छी खूबियों को छुपा दिया और अकबर की सहिष्णुता की नीति को छोड़ने का उसका निर्णय समझौता करने के लिए बहुत खतरनाक साबित हुआ।
